Sunday 18 January 2015

New Books

किताब : रिश्ते
लेखक : संजय सिन्हा
पब्लिकेशन : प्रभात प्रकाशन
कीमत : 245
पेज : 343
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रिश्ते क्या होते हैं, क्या है रिश्तों का मर्म, कैसा महसूस होता है जब टूट जाता है कोई रिश्ता, कब कोई रिश्ता देता है खुशी और कब बन जाता है दर्द का एक सबब... इन तमाम सवालों के जवाबों को संजय सिन्हा रोज अपने फेसबुक पन्ने पर टटोलते हैं। उन्हीं पोस्ट में से चुने हुए नगीनों का संकलन है उनकी किताब : रिश्ते। संजय सिन्हा पेशे से पत्रकार हैं। तेज़ रफ्तार जिंदगी में इंसान के लिए रिश्तों की कितनी अहमियत है और उसकी तलाश कहां-कहां पूरी होती है, इस किताब के जरिए आप बखूबी जान और समझ पाएंगे। भाषा आसान और लेखन धाराप्रवाह है। किस्से इतने दिलचस्प कि एक बार पढ़ना शुरू करने के बाद खत्म करने से पहले रुकने को जी नहीं चाहता। मन को झकझोरनेवाले कई बड़े सवाल भी इसमें लेखक ने उठाए हैं।

किताब : Not Just Bollywood, Indian Directors Speak


लेखक : तुला गोयनका
पब्लिकेशन : ओम बुक्स इंटरनैशनल
कीमत : 395
पेज : 452
फिल्म बनाना बहुतों का ख्वाब होता है। जिनका ऐसा कोई ख्वाब नहीं है, उनमें से भी बहुतों इसके बारे में महज जानने की चाह रखते हैं। और यह जानकारी अगर आपको इस फील्ड की नामी हस्तियों से मिले तो? दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री के 28 दिग्गज डायरेक्टरों ने इस किताब में अपने अनुभव शेयर किए हैं, जो फिल्म लवर्स के अलावा स्टूडेंट्स के लिए भी काम के हैं। यश चोपड़ा, श्याम बेनेगल, सुभाष घई, विधु विनोद चोपड़ा, प्रकाश झा, गोविंद निहलानी, महेश भट्ट, अनुराग कश्यप जैसे नॉर्थ के मशहूर डायरेक्टर्स के साथ-साथ अडूर गोपालकृष्णन, मृणाल सेन, अपर्णा सेन, ऋतुपर्णा घोष जैसे तमाम दिग्गजों से सिनेमा की बारीकियां इस किताब के जरिये आप जान और सीख सकते हैं। लेखिका को खुद करीब 30 बरसों का फिल्म प्रोडक्शन का अनुभव है। वह एक अमेरिकन यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स को फिल्म मेकिंग भी सिखाती हैं।

किताब : नेक व्यक्ति कैसे जीते?लेखक : पवन चौधरी
पब्लिकेशन : विज़डम विलेज पब्लिकेशंस
कीमत : 195
पेज : 242
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यह जमाना नेक या भोले लोगों का नहीं है, ऐसा कहते और सुनते अक्सर लोग पाए जाते हैं। लेकिन फितरत आसानी से बदलती नहीं। जाहिर है, नेकनीयति का खमियाजा अक्सर नेकदिल लोगों को उठाना पड़ जाता है। तो क्या नेकनीयत लोगों की नियति सिर्फ हारना है या फिर जीत के लिए उन्हें कुटील बनना ही होगा? यह किताब ऐसे सवालों के जवाब बहुत अच्छे से देती है। बिना अपनी फितरत बदले और गलत काम किए किस तरह कोई सामने वाले की बुराइयों को समझकर आगे बढ़ सकता है, यह इस किताब में है। किताब पाठकों को दुनिया में जीत की राह दिखाती है। बताती है कि किस तरह पाखंड और फरेब के बिना भी जिंदगी को कामयाब बना सकते हैं। लेखक पवन चौधरी फ्रांस की एक मल्टिनैशनल कंपनी में एमडी हैं।
किताब : मिथक = मिथ्या, हिंदू मिथकों का विश्वकोश
लेखक : डॉ. देवदत्त पटनायक
पब्लिकेशन : पेंग्विन बुक्स इंडिया लि.
कीमत : 150
पेज : 188
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हिंदुओं के 33 करोड़ देवी-देवता हैं। जाहिर है, इतनी बड़ी संख्या में भगवान हैं, तो उनसे जुड़े ढेर सारे किस्से-कहानियां और मिथ भी हैं। यह किताब जीवन और मृत्यु, प्रकृति और संस्कृति, उत्कृष्टता और संभावना के बीच विरोधाभासों के जवाब भी तलाशती है। लेखक ने अपनी शैली और चित्रों के जरिए हिंदू प्रतीकों और रीति-रिवाजों से जुड़ीं गुत्थियां सुलझाई हैं। हिंदू देवी-देवताओं और पौराणिक चरित्रों से जुड़े बहुत-से अहम प्रश्न, जैसे कि सीता का त्याग करने के बावजूद राम आदर्श राजा कैसे बने, तो कौरवों को स्वर्ग और पांडवों (युधिष्ठिर को छोड़) को नरक क्यों मिला, के जवाब तलाशने की कोशिश भी लेखक ने की है। हिंदू धर्म में दिलचस्पी रखनेवालों को किताब पसंद आएगी।


किताब : कांच के आंसू (उपन्यास)
लेखक : हेर्टा म्युलर
पब्लिकेशन : वाणी प्रकाशन
कीमत : 200
पेज : 103
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यह रोमानिया के एक छोटे-से गांव की कहानी है, जहां के लोग जर्मन बोलते हैं। ये अपनी ही दुनिया में जीते हैं और इनका सारा प्रेम जर्मन के लिए ही है। ये रोमानियाई चीजों और लोगों को तुच्छ समझते हैं। दिक्कत यह है कि रोमानिया में रहनेवाले सभी लोगों, फिर वे किसी भी जमात के हों, का जर्मनी की ओर पलायन करना मजबूरी है। इसकी कीमत उन्हें अपने आत्मसम्मान को भुलाकर चुकानी पड़ती है। इस बेघर होनेवाले समाज की कहानी को बेहद मार्मिक तरीके से लिखा है लेखिका ने। 2009 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित लेखिका ने किताब में उजाड़ दृश्यों के लिए जो कल्पनाएं की हैं, वे बहुत ही मौलिक और हटकर हैं।

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